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Thursday, November 12, 2020

20+ Famous Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी

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मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली या मात्र निदा फ़ाज़ली (उर्दू: ندا فاضلی ‎) हिन्दी और उर्दू के मशहूर शायर थे इनका निधन ०८ फ़रवरी २०१६ को मुम्बई में निधन हो गया। उन्होंने अपना बचपन ग्वालियर में बिताया, जहाँ उनकी शिक्षा हुई।  उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई 1958 में ग्वालियर कॉलेज से पूरी की। 1964 में, वह नौकरी खोजने के लिए मुंबई गए। हालांकि, उनकी अनूठी कविता शैली ने फिल्म निर्माताओं के साथ-साथ उर्दू और हिंदी साहित्य के लेखकों का ध्यान आकर्षित किया।  उन्हें आमतौर पर "कविता प्रतिष्ठित-सस्वर पाठ सत्र" (मुशायरों) के लिए आमंत्रित किया गया था।


 उनकी ग़ज़ल गायकों और पाठकों के बीच उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुति और दोहा, नज़्मों और ग़ज़लों के लिए प्राकृतिक भाषा के चयनात्मक उपयोग के लिए पहचानी गई।  अपनी कविता को स्पष्ट करने के लिए विशद फारसी प्रतिनिधित्व और जटिल शब्दों से परहेज करते हुए। उन्होंने 60 के दशक के समवर्ती कवियों के निबंधों को अपनी पुस्तक मुलकातेन में लिखा था जिसमें कैफी आजमी, अली सरदार जाफरी और साहिर लुधियानवी जैसे कवियों का योगदान था।  नतीजतन, उन्हें काव्य के इतने सत्रों में रोक दिया गया। उनका करियर आगे बढ़ा जब एक फिल्म निर्माता कमाल अमरोही ने उनसे संपर्क किया। फ़िल्मों में उनका प्रवेश एक घटना से हुआ था जब 1983 में फ़िल्म रजिया सुल्तान के पूरा होने से ठीक पहले जन निसार अख्तर (गीतकार) की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने फ़िल्म के अंतिम दो गीत लिखे और उन्होंने सिर्फ इसलिए दूसरे फिल्मकारों को प्रभावित किया।  उसके काम का। उनके प्रसिद्ध गीतों में गुडि़या, रात की सुबाह नहीं और आप से लेकर अनीस ना का भी इस्तेमाल किया गया था।


 भले ही उन्होंने नीम का पेड, सैलाब, ज्योति और जाने क्या बात है जैसे धारावाहिकों के लिए शीर्षक गीत लिखे।  वर्तमान समय के उल्लेखनीय कलाकार उनकी रचनाओं और उनकी ग़ज़लों को भी गाते हैं। 1994 में, उन्होंने प्रसिद्ध गज़ल गायक जगजीत सिंह के साथ मिलकर इनसाइट नाम से एक एल्बम लॉन्च किया, जिसे इसकी गहन कविता और संगीत के लिए भी प्रशंसा मिली।  उन्होंने एमपी सरकार से दीवरन के बिच (एक आत्मकथात्मक उपन्यास) के लिए "मीर तकी मीर पुरस्कार" का सम्मान प्राप्त किया। 8 फरवरी 2016 को दिल का दौरा पड़ने से फाजली का निधन हो गया।


Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी



Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी



अब किसी से भी शिकायत न रही

जाने किस किस से गिला था पहले

 


हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा

 


उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था

सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला

 

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बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता

जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता

 


कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है

 

Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी


 

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो

सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

 


हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए

कभी तो हौसला कर के नहीं कहा जाए

 



यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें

इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो

 


 

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता

मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो

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मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें

कुछ तुम भी बदल कर देखो कुछ हम भी बदल कर देखें

 

Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी


ख़ुदा के हाथ में मत सौंप सारे कामों को

बदलते वक़्त पे कुछ अपना इख़्तियार भी रख

 


ये शहर है कि नुमाइश लगी हुई है कोई

जो आदमी भी मिला बन के इश्तिहार मिला

 


पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है

अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम हैं

 


यक़ीन चाँद पे सूरज में ए’तिबार भी रख

मगर निगाह में थोड़ा सा इंतिज़ार भी रख

 


जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया

बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया

 


मेरी ग़ुर्बत को शराफ़त का अभी नाम न दे

वक़्त बदला तो तिरी राय बदल जाएगी

 

Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी


बहुत मुश्किल है बंजारा-मिज़ाजी

सलीक़ा चाहिए आवारगी में

 


हम लबों से कह न पाए उन से हाल-ए-दिल कभी

और वो समझे नहीं ये ख़ामुशी क्या चीज़ है

 


 

कोशिश भी कर उमीद भी रख रास्ता भी चुन

फिर इस के ब’अद थोड़ा मुक़द्दर तलाश कर

 


अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं

रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं

 


दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है

 

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तुम से छुट कर भी तुम्हें भूलना आसान न था

तुम को ही याद किया तुम को भुलाने के लिए

 

Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी


इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे

रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा

 


दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती

ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती

 


सब कुछ तो है क्या ढूँडती रहती हैं निगाहें

क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता

 


एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक

जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा

 


कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता

कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता

 


धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो

ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

 

Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी


बच्चों के छोटे हाथों को चाँद सितारे छूने दो

चार किताबें पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जाएँगे

 


होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है

इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है

 


हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी

जिस को भी देखना हो कई बार देखना

 


किस से पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से

हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा

 


कुछ तबीअ’त ही मिली थी ऐसी चैन से जीने की सूरत न हुई

जिस को चाहा उसे अपना न सके जो मिला उस से मोहब्बत न हुई

 


रिश्तों का ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार

हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं

 

Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी


किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं

तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

 


बड़े बड़े ग़म खड़े हुए थे रस्ता रोके राहों में

छोटी छोटी ख़ुशियों से ही हम ने दिल को शाद किया

 


हम भी किसी कमान से निकले थे तीर से

ये और बात है कि निशाने ख़ता हुए

 



अपने लहजे की हिफ़ाज़त कीजिए

शेर हो जाते हैं ना-मालूम भी

 



घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें

किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए

 


दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता

दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए

 

Nida Fazli Status On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई

आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई

 


वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में

जो दूर है वो दिल से उतर क्यूँ नहीं जाता

 


गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया

होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया

 


नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए

इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई

 


अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला

हम ने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला

 


बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे

मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे

 


फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है

वो मिले या न मिले हाथ बढ़ा कर देखो

 


उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा

वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

 


बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने

किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

 


कुछ लोग यूँही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं

हर एक से अपनी भी तबीअ’त नहीं मिलती

 


इंसान में हैवान, यहां भी है वहां भी

अल्लाह निगहबान, यहां भी है वहां भी

 

Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी


खूंखार दरिंदों के फ़क़त नाम अलग हैं

शहरों में बयाबान, यहां भी है वहां भी

 


रहमान की कुदरत हो या भगवान की मूरत

हर खेल का मैदान, यहां भी है वहां भी

 


हिंदू भी मजे में है, मुसलमां भी मजे में

इंसान परेशान, यहां भी है वहां भी

 



अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाये

घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये 


जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ नहीं

उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाये

 


बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं

किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये

 


घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें

किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जा


Final words:- नमस्कर दोस्तों आप सबको हमारी पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद हमारी Nida Fazli Shayari On Love | निदा फ़ाज़ली शायरी अच्छी लगे तो शेयर करना ना भूले इसी तरह की अच्छी अच्छी Post पाने के लिए हमारी वेबसाइट www.armystatus.in से जुड़े रह

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